जैव विविधता बचाने की पर्यावरणविदों की अपील को प्रशासन का समर्थन
इंदौर, 30 अप्रैल । मध्यप्रदेश के इंदौर स्थित ऐतिहासिक पोलोग्राउंड क्षेत्र को सौ प्रतिशत हरित क्षेत्र के रूप में ‘भारत वन’ विकसित करने की पहल को आज एक बड़ी सफलता मिली, जब शहर के महापौर श्री पुष्यमित्र भार्गव, नगर आयुक्त श्री शिवम वर्मा, वरिष्ठ पर्यावरणविद पदृमश्री डॉ. जनक पलटा मैकगिलिगन, पद्मश्री भालू मोंढे, अम्बरीश केला, डॉ. दिलीप वाघेला, डॉ. ओ.पी. जोशी, पत्रकार अभिलाष खांडेकर, सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश वर्मा सहित अनेक जागरूक नागरिकों ने मिलकर स्थल का दौरा किया और पर्यावरण-संरक्षण की दिशा में सकारात्मक संवाद किया।
पर्यावरण से सरोकार रखने वाले सभी व्यक्तियों ने 32 एकड़ सरकारी भूमि को “नेचर पार्क” के रूप में विकसित करने की जोरदार सिफारिश की और यह सुनिश्चित करने की मांग की कि इस क्षेत्र को किसी भी रूप में पर्यटन स्थल या व्यावसायिक उपयोग हेतु परिवर्तित न किया जाए। डॉ. जनक पलटा ने विशेष रूप से नगर निगम आयुक्त से आग्रह किया कि यह केवल एक हरित संरक्षित क्षेत्र रहे — जहाँ शहर के नागरिक प्रकृति के साथ जीवंत संपर्क में आ सकें।
उल्लेखनीय है किपोलो ग्राउंड क्षेत्र, जो कभी घुड़सवारी और खेल गतिविधियों के लिए जाना जाता था, अब एक शांत, हरियाली भरा भूखंड है। यहां अभी भी नीम, पीपल, अमलतास, गुलमोहर, अर्जुन, आंवला जैसे लगभग 350 से अधिक पुराने पेड़ मौजूद हैं, जिनमें बबूल की संख्या विशेष रूप से अधिक है। इन्हें सामान्य या कम उपयोगी मानकर हटाना एक भूल होगी, क्योंकि वानस्पतिक विशेषज्ञ डॉ. ए. जाफरी (उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद) के अनुसार, मालवा क्षेत्र की समशीतोष्ण जलवायु में बबूल के पेड़ों की पारिस्थितिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इसी संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए यह भी प्रस्तावित है कि यहां बनने वाले जलाशय (तालाब) की सीमाएं पत्थरों से बनाई जाएंगी, न कि सीमेंट से, ताकि प्राकृतिक जल प्रवाह और पारिस्थितिक संतुलन बना रहे।
इसके साथ ही पोलो ग्राउंड क्षेत्र में रॉबिन, बुलबुल, सफेद बगुला, चील, फाख्ता जैसे कई स्थानीय पक्षियों की नियमित उपस्थिति दर्ज की गई है। पक्षियों के अलावा, स्थानीय वनस्पति और छोटे जीव-जंतुओं की उपस्थिति भी इस क्षेत्र को एक जीवंत पारिस्थितिक तंत्र बनाती है। विशेषज्ञों के अनुसार यह क्षेत्र एक प्रकार का शहरी जैव विविधता भंडार है, जो इंदौर के पर्यावरणीय संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
पद्मश्री भालू मोंढे और डॉ. ओ.पी. जोशी ने बताया कि यदि मियावाकी तकनीक से इस क्षेत्र में वृक्षारोपण किया जाए, तो यह आने वाले वर्षों में घने जंगल जैसा रूप ले सकता है — जो न केवल कार्बन अवशोषण का कार्य करेगा, बल्कि शहर के नागरिकों को प्रकृति के अनुभव का एक नया केंद्र भी देगा। सुझाव दिया गया कि देश के विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि वृक्ष भी यहां रोपे जाएं, जिससे यह ‘भारत वन’ विविधता और एकता का प्रतीक बन सके।
नगर आयुक्त श्री शिवम वर्मा ने पर्यावरणविदों की बातों को गंभीरता से सुनते हुए यह आश्वासन दिया कि नगर निगम इस “हरित क्षेत्र” को विकसित करने में सभी नागरिकों, विशेषज्ञों और पर्यावरण समूहों की भागीदारी सुनिश्चित करेगा। उन्होंने जल्द ही एक परामर्श बैठक बुलाने की बात भी कही।
इसी निरीक्षण के दौरान महापौर श्री पुष्यमित्र भार्गव ने ‘भारत वन’ को इंदौर के लिए एक प्रेरणादायक मॉडल बताते हुए इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ाने की बात कही। एमआईसी सदस्य राजेन्द्र राठौर और अभिषेक शर्मा भी इस दौरे में शामिल रहे और परियोजना को समर्थन दिया।
पर्यावरण प्रेमीअम्बरीश केला और डॉ. दिलीप वाघेला ने प्रशासन से यह आग्रह किया कि भविष्य में इस क्षेत्र का कोई भी हिस्सा किसी भी प्रकार के व्यावसायिक या पर्यटन संबंधी प्रयोग हेतु ना दिया जाए। उन्होंने इसे शहर के “फेफड़ों” के रूप में सुरक्षित रखने की ज़रूरत पर बल दिया।
पोलोग्राउंड को ‘भारत वन’ के रूप में विकसित करने की यह पहल, केवल एक हरित क्षेत्र की स्थापना नहीं, बल्कि इंदौर की पर्यावरणीय चेतना का सशक्त प्रतीक बन सकती है। यह प्रयास इंदौर को न केवल स्वच्छ शहर बनाए रखेगा, बल्कि उसे हरित, जैविक और संतुलित भी बनाएगा।