सोपान जोशी दो दर्जन सालों में ’विकास’ लगातार बढ़ता ही रहा है। हम अपनी ही बनाई सीमा में रहने के लिए कतई तैयार नहीं है। 1.5 डिग्री सेल्सियस का अंतर जलवायु में आया है वह गर्मी-सर्दी के उतार-चढ़ाव से कहीं...
डॉ. भारतेन्दु प्रकाश भारत में पर्यावरण व धर्म को अत्यन्त व्यापक स्वरूप प्रदान किया गया है। इन दोनों की व्यवस्थित समझ से ही विकास संभव है। परंतु आधुनिक योजनाकारों ने इन तीनों की अलग-अलग व्याख्या कर पूरी मानवता को ही...
अपने यहां एक कहावत है कि ‘फिसल पडे तो हर गंगा’ यानि किसी उद्देश्‍य के लिए कुछ करते हुए, कुछ दूसरे, बिलकुल अनपेक्षित सकारात्‍मक नतीजे मिल जाना। ‘कोविड-19’ की मार में करीब दो महीने से लगे ‘लॉक डाउन’ ने...
हाल के वर्षों में समुद्री तूफानों ने हमारे तटीय राज्यों में भारी तबाही मचाई है। इन्हीं दिनों पश्चिमी तट के केरल, महाराष्ट्र, गोवा और गुजरात राज्य तूफान ‘वायु’ से उलझ रहे हैं। जलवायु परिवर्तन की मार से उपजे इन...
मुकुट यानि क्राउन के आकार के कोरोना वायरस ने अपनी बीमारी कोविड-19 की मार्फत समूची दुनिया को हलाकान कर दिया है। इसकी उत्‍पत्ति की कई वजहें गिनाई जा रही हैं, लेकिन उन सबका जोड आधुनिक विकास के लिए प्रकृति...
मध्यप्रदेश की मौजूदा सरकार ने अपने घोषणा-पत्र के मुताबिक ‘मध्यप्रदेश जल का अधिकार (संरक्षण और निरंतर उपयोग) अधिनियम-2020’ क्रियान्वित करने का तय किया है, लेकिन क्या यह कानून राज्य के आम लोगों की पानी की जरूरतों को पूरा करने...
वन और वन्य-प्राणियों के संरक्षण-संवर्धन में लगी कथित ‘वैज्ञानिक वानिकी’ के हल्ले में हम अपनी उन परम्पराओं को भूलते जा रहे हैं जिनकी बदौलत हमारे पास आज भी वन और वन्यप्राणी सम्पदा बची हुई है। भारी-भरकम किताबी ज्ञान की...
पर्यावरण के संकट, जल-जंगल-जमीन के बाद अब मानवीय जीवन को अपनी गिरफ्त में लेने की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में ‘धरती रक्षा दशक’ जैसे आपातकालीन उपायों के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। जनवरी 2020 की पहली...
दुनियाभर को प्राणवायु यानि ऑक्सीजन मुहैय्या करवाने वाले अमेजान के जंगलों में लगी आग इन दिनों सर्वत्र चर्चा और चिंता का विषय बनी हुई है। अमीर देशों के ‘ग्रुप-7’ और ‘ग्रुप-20’ जैसे वैश्विक मंचों तक को हलाकान करने वाली...
नीलेश दुबे  ऊर्जा की खपत से विकास को मापने के इस दौर में ऊर्जा उत्पादन के तरीकों पर गहराई से विचार करने की जरूरत है। क्या हम व्यापक विस्थापन, भारी पर्यावरण विनाश और असीमित आर्थिक बदहाली की कीमत पर पारम्परिक...

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