जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाएं अब सिर्फ पर्यावरणीय नहीं, बल्कि मानवीय संकट बन चुकी हैं। पिछले एक दशक में दुनिया भर में करोड़ों लोग बाढ़, सूखा, तूफान और समुद्र स्तर बढ़ने के कारण अपने घरों से उजड़ चुके हैं।...
सब जानते हैं कि आधुनिक विकास की बुनियाद प्रकृति-पर्यावरण, खासकर नदियों को क्रूरता से नष्ट करने पर टिकी है। यह भी सभी जानते-भुगतते हैं कि प्रकृति-पर्यावरण और नदियों की बर्बादी इंसानों को समाप्त कर सकती है, लेकिन इसे कोई...
कई बार सरकारें भी जनहित में कारगर फैसले ले लेती हैं। हाल में बैलों की खेती को प्रोत्साहन देने का राजस्थान सरकार का फैसला इसी तरह का है। ध्यान से देखें तो बैलों से की जाने वाली खेती का...
भौगोलिक रूप से बेहद संवेदनशील माने जाने वाले पहाड़ों में विकास योजनाओं की जिद ने जानलेवा आफतें खड़ी की हैं। नतीजे में पहाड़ और उन पर बसा जीवन लगातार आपदाओं की चपेट में बना रहता है। कमाल यह है...
नई सरकार के गठन की आपाधापी में राजधानी दिल्ली समेत देश के अनके इलाके अपने जल संकट और उबलती गर्मी की ओर अपेक्षित ध्यान नहीं खींच पाए। दिनों-दिन गहराते ये संकट क्या केवल राजनीतिक खींचतान की वजह से ही...
चिंतन सम्मेलन में देश भर से जुटे दो सौ से ज्यादा चिंतक और सामाजिक कार्यकर्ता देश के आम लोगों को अब जगाने की ज्यादा जरूरत है क्योंकि सभी प्राकृतिक संसाधनों पर पूंजीपतियों का कब्जा हो रहा है। सरकारें तमाशबीन बनी...
ओडिशा के गंधमार्दन पर्वत पर एक बार फिर उत्खनन का हमला होने वाला है और इस बार यह निजी क्षेत्र की अडाणी कंपनी करने वाली है। अस्सी के दशक में सरकारी क्षेत्र की ‘बाल्को’ कंपनी को बॉक्साइट की...
सुनील कुमार कलिंगनगर, नियमगिरि, जगतसिंहपुर (पोस्को), नारयणपटना, काशीपुर के बाद निगाह रायगड़ा़ जिले के सिजिमाली, कुटरूमाली और माजनमाली पर है। यहां पर बॉक्साइट का भंडार बड़ी मात्रा में है। कलिंगनगर, नियमगिरि, जगतसिंहपुर (पोस्को), नारायणपटना, काशीपुर के बाद निगाह रायगड़ा़ जिले के सिजिमाली, कुटरूमाली और...
मौजूदा विकास की विडंबना है कि इसमें भीषण भुखमरी और असीमित सम्पन्नता एक साथ फलती-फूलती हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था में पांचवें पायदान पर खड़े हमारे देश में करीब अस्सी फीसदी आबादी सरकारी दया की मार्फत मिलने वाले पांच किलो...
जिस तेजी से शहरों के विकास हो रहे हैं, उसने नगर-नियोजन की अहमियत कई गुना बढ़ा दी है। इसमें उस आबादी का खास महत्व है जो आसपास के गांव-खेडों से रोजगार की आस में शहरों की तरफ खिंची चली...

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