तमाम अटकल-पच्चियों के बावजूद सवाल है कि क्या हमारा समाज आजादी के बाद के सबसे बडे पलायन को भोगने की तकलीफों को महसूस करना भी छोड़ चुका है? या फिर ‘पहचान,’ ‘धर्म’,’ ‘बहु-संख्यकवाद’ जैसी कोई और बात है...
कांग्रेस के लिए बहुत ही नाज़ुक वक्त में एक और सरकार स्वाहा होने से बच गई पर राजस्थान की सात करोड़ जनता और देश के लिए अब कुछ ही बचे हुए नेताओं में से भी कुछ और नज़रों से...
तुलसी-कृत ‘रामचरित मानस’ के ‘किष्किंधा कांड’ में अनूठा प्रकृति चित्रण करते हुए तुलसी बाबा ‘दामिनी’ यानि तडित या बिजली का वर्णन भी करते हैं। क्या है यह, ‘दामिनी?’ मानसून के मौसम में गिरती बिजली देखना आम बात है, लेकिन...
भाजपा की राजनीतिक सत्ता प्राप्ति की यात्रा को ही देखें तो पता चलता है कि उसने आम लोगों और समाज में सुगबुगा रहे सवालों पर ही उंगली रखी है और नतीजे में शून्य से शिखर तक पहुंची है। इसके...
इस सवाल से कैसे मुक्त हुआ जा सकता है कि लाखों की संख्या वाले साधु-संत, उनके करोड़ों शिष्य और भक्तों के साथ वे अनगिनत कार्यकर्ता जो मंदिर-निर्माण के कार्य को अपने संकल्पों की प्रतिष्ठा मानते हुए इतने वर्षों से...
6 अगस्त 2020 ‘हिरोशिमा दिवस’ : तबाही के 75 साल
युद्ध, और वह भी परमाणु युद्ध की मार्फत अपने तमाम अडौसी-पडौसियों को सीधा कर देने के लिए बावले होते आज के कथित ‘देशभक्तों’ को 75 साल पहले जापान के हिरोशिमा (6अगस्त)...
क्या कारण हो सकता है कि आडवाणी और तमाम नेता उस श्रेय को लेने से इनकार कर रहे हैं जिसके वे पूरी तरह से हक़दार हैं ? क्या ऐसा मान लिया जाए कि बाबरी का विध्वंस एक अलग घटना...
आंकडों का मायाजाल बहुत भयावह होता है। जैसे यह डेढ़ सौ रूपये की राहत सामग्री के आंकडों की घोषणा में कहा गया अस्सी करोड़ विपन्न लोगों को जुलाई से नवम्बर याने पांच माह तक राशन देने पर एक सौ...
बैंकों ने अपने सेवा शुल्क बढ़ा दिये हैं जिससे न केवल बैंकों के साथ उनके ग्राहकों के संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है बल्कि बैंकिंग प्रणाली के प्रति उनका भरोसा भी धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। अब बैंक...
आजकल कैंसर और उस जैसी अनेक गंभीर बीमारियों के विस्फोट ने हमारे खान-पान पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। इसी दौर में पता चल रहा है कि पूंजी की अपनी हवस में पागल हो रही बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने...