इन दिनों देशभर के किसान संसद द्वारा पारित तीन कानूनों को लेकर बेचैन हैं। इन कानूनों के विरोध में जगह-जगह धरना, प्रदर्शन जारी हैं और इनकी मार्फत सरकार से कहा जा रहा है कि वह इन कानूनों को वापस...
राजगोपाल पीव्‍ही कुछ दिन पहले खेती-किसानी से जुडे दो कानूनों के बनने और एक कानून के संशोधन ने देशभर के किसानों में बवाल खडा कर दिया है। ऐसे में बरसों से कृषि और जमीन के मुद्दे पर सक्रिय ‘एकता परिषद’...
संसद के मौजूदा सत्र में किसानों और किसानी को प्रभावित करने वाले उन तीन विवादास्‍पद अध्‍यादेशों के कानून बनने की संभावना है जिन्‍हें केन्‍द्र सरकार ने अभी जून में लागू करके देशभर के किसान संगठनों के बीच बवाल खडा...
अमेरिकी राष्‍ट्रपति डॉनल्‍ड ट्रम्‍प की कुछ महीने पहले की भारत-यात्रा से परवान चढ़ी भारत-अमेरिकी के बीच खुले व्‍यापार समझौते की बातचीत, अब लगता है, अपनी मंजिल तक पहुंचने वाली है। लेकिन क्‍या यह समझौता भारत सरीखे तीसरी दुनिया के देश के...
आजकल कैंसर और उस जैसी अनेक गंभीर बीमारियों के विस्‍फोट ने हमारे खान-पान पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। इसी दौर में पता चल रहा है कि पूंजी की अपनी हवस में पागल हो रही बहुराष्‍ट्रीय कंपनियों ने...
भरपूर उत्‍पादन और तीखी भुखमरी के बीच की उलटबासी के मैदानी अनुभवों की एक बडी वजह हर साल होती अनाज की बर्बादी और उसके लिए जरूरी भंडारण का अभाव है। अनाज की बर्बादी हमारे यहां सालाना होने वाली एक...
कोरोना संकट के एन बीचम-बीच सरकार ने जून 2020 में किसानों से जुडे तीन अध्‍यादेश जारी किए हैं। इनमें मंडी, ‘न्‍यूनतम समर्थन मूल्य,’ ‘संविदा खेती’ जैसे किसानी मुद्दों का जिक्र करते हुए मौजूदा कृषि-व्‍यवस्‍था को कॉर्पोरेट खेती ...
जहां देशी बीज और परम्परागत खेती जिन्दा है, वहां परम्परागत खेती और किसान भी जिन्दा है। स्थानीय मिटटी, पानी के अनुकूल देशी बीजों की परम्परागत विविधता की संस्कृति को सामने लाये जाने और ऐसी परंपरागत खेती की पद्धतियों प्रचलित...
श्रम आधारित गांव की, खेती की संस्कृति की वापसी हो रही है। गांव की पारंपरिक खान-पान संस्कृति बच रही है। इस तरह की मुहिम को आंगनबाड़ी जैसी योजनाओँ से भी जोड़ा जा सकता है। बाड़ियों में सब्जियों की खेती...
कोरोना की चपेट में आए लाखों-लाख श्रमिकों की बदहवास गांव-वापसी इशारा कर रही है कि खेती में आज भी काफी संभावनाएं है। क्‍या यह बात हमारे नीति-नियंता, सत्‍ताधारी और नौकरशाह समझ पाएंगे? क्‍या ‘कोरोना-बाद’ का भारत वापस कृषि-प्रधान हो...

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