सुदर्शन सोलंकी

नासा के आधिकारिक आकंड़ों के अनुसार वेनेज़ुएला की झील मैराकाइबो का नाम सबसे ज़्यादा बिजली चमकने वाले स्थान के तौर पर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज है। यहां प्रत्येक साल प्रत्येक किलोमीटर पर 250 बार बिजली चमकती है। नासा’ के अध्ययन के अनुसार यदि धरती का तापमान एक डिग्री सेल्शियस बढ़ता है तो लगभग 10 प्रतिशत बिजली गिरने की घटनांए बढ़ेंगी।

हर वर्ष मानसून में बादलों की गर्जना के साथ बिजली चमकती और धरती पर गिरती है। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। जब नम और शुष्क हवा के साथ बादल टकराते हैं तो बिजली चमकती है और इसके गिरने का खतरा होता है। आसमान में धनात्मक और ऋणात्मक आवेशित बादल घूमते हुए जब एक-दूसरे के पास आते हैं तो इनके टकराने से उच्च शक्ति की बिजली उत्पन्न होती है जिससे की दोनों तरह के बादलों के बीच हवा में विद्युत-प्रवाह शुरू हो जाता है। इस तरह विद्युत-धारा प्रवाहित होने से रोशनी की तेज चमक पैदा होती है जिसे हम बिजली चमकना कहते है। इस तरह से आकाश में पैदा हुआ विद्युत आवेश जब धरती की ओर आता है तो इसके संपर्क में आयी सभी वस्तुएं उच्च तापमान के कारण लगभग नष्ट हो जाती है। आसमान में किसी तरह का कंडक्टर न होने से बिजली पृथ्वी पर कंडक्टर की तलाश में पहुंच जाती है, जिससे नुकसान पहुंचता है।

एक बार बिजली कड़कने पर उसमें 10 करोड़ से 100 करोड़ वोल्ट की उर्जा मौजूद रहती है और ये अरबों वॉट पॉवर के बराबर हो सकती है। जब बिजली गिरती है तो आसपास की हवा का तापमान 10 हज़ार डिग्री सेल्सियस से 30 हजार सेल्सियस तक गर्म हो सकता है।

नासा के आधिकारिक आकंड़ों के अनुसार वेनेज़ुएला की झील मैराकाइबो का नाम सबसे ज़्यादा बिजली चमकने वाले स्थान के तौर पर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज है। यहां प्रत्येक साल प्रत्येक किलोमीटर पर 250 बार बिजली चमकती है।

वैश्विक तापमान में वृद्धि के कारण आंधी-तूफान, धूल भरी आंधी व आकाशीय बिजली की तीव्रता और आवृत्ति दोनों बढ़ने की संभावना है। वायुमंडलीय वैज्ञानिकों के अनुसार बढ़ता वायु-प्रदूषण भी बिजली गिरने की सम्भावना बढ़ाता है। केलिफोर्निया के बर्कले विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के एक अध्ययन के अनुसार, ग्रीन हाउस गैसों के बढ़ने से हुए बदलाव से बिजली गिरने की घटनाएं बढ़ेंगी। वहीं ‘नासा’ के अध्ययन के अनुसार यदि धरती का तापमान एक डिग्री सेल्शियस बढ़ता है तो लगभग 10 प्रतिशत बिजली गिरने की घटनांए बढ़ेंगी।

NCRB की रिपोर्ट के अनुसार प्राकृतिक ताकतों की वजह से होने वाली मौतों में से एक-तिहाई से ज्‍यादा मौतें आसमानी बिजली के कारण से होती हैं। वैश्विक स्तर पर प्रतिवर्ष बिजली गिरने की 2.5 करोड़ घटनाएं होती हैं। हमारे देश में हर साल 2,000 से अधिक मौतें बिजली गिरने के कारण होती हैं। मौसम विभाग के साथ काम करने वाली संस्‍था क्लाइमेट रेसिलिएंट ऑब्सेर्विंग सिस्टम्स प्रमोशन काउन्सिल (CROPC) के अनुसार 1 अप्रैल, 2019 से 31 मार्च, 2020 के बीच आसमानी बिजली के चलते 1,771 लोगों की मौत हुई। इसमें उत्‍तर प्रदेश में सबसे ज्‍यादा 293, मध्‍य प्रदेश में 248, बिहार में 221, ओडिशा में 200 और झारखंड में 172 लोगों की मौत हुई। इन पांच राज्‍यों में 60% से ज्‍यादा मौतें दर्ज की गईं। एनुअल लाइटनिंग रिपोर्ट 2019-20 के अनुसार, 25-31 जुलाई के बीच बिजली गिरने से सबसे ज्‍यादा मौतें हुई। इस दौरान भारत में 4 लाख से ज्यादा बार बिजली गिरने की घटना दर्ज हुई। रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर पूर्वी राज्य और छोटा नागपुर पठार का इलाका बिजली गिरने के मामले में हॉटस्पॉट रहा है। कई रिपोर्ट में कहा गया है कि बिजली गिरने से अधिकतर मौतें इस वजह से होती हैं क्‍योंकि बड़े पैमाने पर लोगों में जागरुकता नहीं है।

बिजली गिरने से सबसे ज्यादा मौतें उन लोगों की होती है जो लोग बारिश के वक्त किसी पेड़ के नीचे खड़े रहते हैं। इस प्रक्रिया को साइड फ्लेश कहते हैं।

बिजली गिरने संबंधी अलर्ट सिस्टम-

बिजली गिरने संबंधी अलर्ट सिस्टम में सेंसर के माध्यम से ऐसे यंत्र बनाए जाते हैं जो बादलों की गतिविधियों का आंकलन कर बिजली चमकने या गिरने का पूर्वानुमान आंधे घंटे पहले दे देते हैं। साथ ही एडवांस सेंसर की मदद से तीन से चार घंटे पहले भी अनुमान मिल सकते हैं। इसके अतिरिक्त दूसरा तरीका आधुनिक तकनीक के ज़रिये एप्स के माध्यम से पूर्वानुमान पाया जाना हैं, जो सैटेलाइट के डेटा के माध्यम से लगाए जाते हैं। भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने दामिनी एप की सुविधा दी है, जो पूर्वानुमान लगा सकता है। लेकिन देश में सूचना तंत्र ठीक न होने से ग्रामीण इलाकों तक सूचना पहुंचना ही एक चुनौती जैसा कार्य है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जिन देशों में संचार प्रणाली विकसित है वहां बिजली गिरने से मौतें कम होती हैं।

इस तरह सावधानी रख बचा जा सकता है आकाशीय बिजली गिरने के खतरे से-

आकाशीय बिजली गिरने की दुर्घटनाओं को रोका तो नहीं जा सकता, परंतु कुछ सावधानियां रख कर इससे होने वाले खतरे को कम किया जा सकता है जैसे-

# जब भी बादल गरजे या बिजली चमके तब किसी खुले स्थान में न रहे। हो सके तो तत्काल किसी पक्के मकान की शरण ले लें। कार के अंदर बंद रहना भी सुरक्षित है। किन्तु ऊंची इमारतों वाले क्षेत्रों में जाने से बचें।

# पैरों के नीचे सूखी चीजें जैसे-लकड़ी, प्लास्टिक, बोरा या सूखे पत्ते रख लें, दोनों पैरों को आपस में सटा लें, दोनों हाथों को घुटनों पर रख कर अपने सिर को जमीन की तरफ जितना संभव हो झुका लें, सिर को जमीन से सटने न दें। जमीन पर न लेटें।

# ऐसे समय में विद्युत सुचालक उपकरणों से दूर रहें और मोबाइल का उपयोग न करें साथ ही घर में चल रहे टीवी, फ्रिज आदि उपकरणों को बंद कर दें।

# नदी, तालाब, जलाशयों और स्वीमिंग पूल पर भी न जाए।

# यदि ऐसे समय में बाहर फस जाए तो कोशिश करें कि पैरों के नीचे प्लास्टिक बोरी, लकड़ी या सूखे पत्ते रख लें. आपके आसपास बिजली या टेलीफोन के तार न हों. समूह में रहने के बजाए दूर दूर रहे।

# ऊंची बिल्डिंगों पर तड़ित चालक (लाइटनिंग कंडक्टर) लगाना जरूरी किया जाए।

# बिजली पैदा करने वाली चीजों से दूरी बनाकर रखेंजैसे- रेडिएटर, फोन, धातु के पाइप, स्टोव इत्यादि।

# सिर के बाल खड़े हो जाएं या झुनझुनी होने लगे तो फौरन नीचे बैठकर कान बंद कर लें. यह इस बात का संकेत है कि आपके आसपास बिजली गिरने वाली है।

# बिजली गिरने में मृत्यु का तात्कालिक कारण हृदयाघात होता है. ऐसे में जरूरी हो तो संजीवन क्रिया, प्राथमिक चिकित्सा कार्डियो पल्मोनरी रेस्क्यूएशन (सीपीआर) प्रारंभ कर दें।

इस तरह की भ्रांतियों से बचे-

# बिजली गोबर पर गिरने से गोबर सोना बन जाता है।

# मकान पर बिजली गिरने से छत की सरिया अष्टधातु की हो जाती है।

# पीपल, पाकड़, बरगद, तरकुल जैसे पेड़ों पर बिजली ज्यादा गिरती है।

# रबर, टायर या फोम बिजली गिरने से बचाव कर सकते हैं।

# किसी चीज पर बिजली गिरने के बाद वह वहां दोबारा नहीं गिरती।

स्पष्ट है कि आकाशीय बिजली का बनना और गिरना एक सामान्य प्राकृतिक प्रक्रिया है. किन्तु बढ़ते प्रदूषण व वैश्विक तापमान में वृद्धि के कारण बिजली चमकने और गिरने कि दुर्घटनाएं बढ़ती जा रही है साथ ही इन्हीं कारणों से बिजली गिरने पर यह अत्यधिक विनाशकारी भी हो गई हैं। इससे बचाव के लिए हमारे देश में बिजली गिरने संबंधी अलर्ट सिस्टम को ओर अधिक उन्नत या विकसित करने के साथ ही देश का सूचना तंत्र भी दुरुस्त करना होगा जिससे की समय रहते इससे होने वाले विनाश से बचा जा सके। (सप्रेस)

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